अंतरिक्ष युद्धम 13
बंकर
तीनों के साथ पूरी तरह से कैदियों वाला व्यवहार किया जा रहा था। धक्का-मुक्की और जबरदस्ती साफ दिख रही थी। मिशा के जबड़े खींचे हुए थे, मन ही मन वह एलियंस को कोस रही थी। उसका सोचना था अगर मेरे हाथ खुले होते तो अभी इन एलियन को उनका बाप याद दिला देती। वैसे यह संभव नहीं था क्योंकि एलियंस ने हाई टेक्नोलॉजी का सूट पहन रखे थे जिसकी क्षमता तीनों धरती वासियों ने परखी नहीं थी।
सभी को सामने के बंकर की तरफ ले जाया गया। वहां पहुंचकर एक एलियंस आगे बढ़ा और उसने दरवाजे को जोरदार धक्का मारा। दरवाजा जंग से भरा हुआ था लेकिन इसके बावजूद उसमें काफी मजबूती थी। काफी जोर लगाने के बाद ही वो दरवाजा खुला। दरवाजा खुलने के बाद उसकी मोटाई सामने आई जो 2 फुट के करीब थी। एक लोहे की बंकर पर इतना बड़ा लोहे का दरवाजा, सुरक्षा का पूरा जुगाड़ किया गया था। दरवाजा खुलते ही सभी अंदर आए और फिर दरवाजा वापिस बंद कर दिया गया। अंदर लंबे टनल जैसा लुप था जिसमें बाहर की चलने वाली हवा के कारण छु छु की आवाज हो रही थी। अगर यही छु छु कि आवाज रात के वक्त हो रही होती तो पूरा का पूरा दृश्य हॉरर सीन में बदल जाता, लेकिन फिलहाल ऐसा नहीं था। उस टनल में दीवारों पर लाल रंग की रोशनी लगी हुई थी जो आगे का रास्ता देखने के लिए पर्याप्त थी। एलियंस ने फिर से धक्का मारते हुए राज और मिशा को आगे बढ़ने को कहा। सभी उस टनल में आगे बढ़े और तब तक चलते रहे जब तक वह खत्म नहीं हो गया। अंदर से भी पूरा का पूरा टनल लोहे का बना हुआ था। ऊपर की तरफ लाइटों की लाल रंग की पट्टी थी और नीचे सफेद रंग के निशान। वह तकरीबन आधा किलोमीटर लंबा टंनल था जो एक गोल खोखले कुएं जैसे बंद वर्ताकार फैक्ट्री के पास जाकर खत्म हुआ । 6 मंजिल वाली फैक्ट्री जो जमीन में काफी गहराई तक जा रही थी। कम से कम उसकी तीन मंजिले गहराई में होगी और बाकी के तीन मंजिले ऊपर। सभी मंजिले खुली हुई थी और ऊपर की छत पर ही जाकर बंद हो रही थी। अलग-अलग रेलिंग मंजिल को नीचे की मंजिल से अलग कर रही थी। फिर लोहे की सीढ़ियां एक रेलिंग को दूसरी रेलिंग से जोड़ने के लिए बनी हुई थी। एलियंस ने हथकड़ी निकाली और तीनों को बाउंड्री पर लगे रेलिंग से ही बांध दिया।
सभी को बांधने के बाद एलियंस वापिस गलियारे में गए और वहां जाकर किसी से संपर्क किया। संपर्क पहली बार में ही मिल गया था। दोनों तरफ कुछ वार्तालाप हुई और संपर्क काट दिया गया। फिर एलियंस वही पहरा देने लगे। बाहर के एलियंस जो दूसरे स्पेसक्राफ्ट से उतरे थे वो बाहर ही थे।
"आखिर इन लोगों को हमसे चाहिए क्या??" मिशा राज के कान में फुसफुसाती हुई बोली। वह खुद से अपने हाथों में बंदी हथकड़ियां खोलने की कोशिश कर रही थी।
"अगर मुझे यह पता होता तो मैं तुम्हें जरूर बताता" राज ने सधा हुआ जवाब दिया। वह भी हथकड़ियां खोलने की कोशिश कर रहा था। उसने घूमकर पीछे की तरफ देखा और बाद में नीचे "इन लोगों ने हमें जिस तरह की जगह पर रखा है उसे देखकर तो यही लग रहा है की यह लोग हमें छुपाने की कोशिश कर रहे हैं"
मिशा ने भी घूम कर आसपास नजरें घुमाई। सब तरफ लोहे की बनी रेलिंग और इंगलेरने ही दिखाई दे रही थी। "पर यह लोग हमें किससे छुपाने की कोशिश कर रहे होंगे.....??"
"शायद जनडोर वासियों से" राज ने अंदाजा लगाया।
"जनडोर वासियों से.... लेकिन क्यों....??"
"मैं यकीनी तौर पर तो नहीं जानता पर मुझे जिकनोर ने बताया की इन एलियंस की दुश्मनी जनडोर वासियों से है। अब जनडोर वासी हमें यहां अपने किसी काम से लेकर आए हैं तो उस हिसाब से मोटा मोटा यही पता लग रहा है कि जो काम जनडोर वासी हमसे करवाना चाहते हैं वह उस काम को नहीं होने देना चाहते। मुझे पता नहीं मैं सही हूं या नहीं पर अंदाजा यही कह रहा है"
" क्या तुम जानते हो यह लोग कौन हैं??"
"मैं जानता हूं, जिकनोर ने पहले ही बता दिया था। यह लोग समाडां ग्रह के वासी हैं। पहले इस ग्रह पर रहते थे बाद में जब यह ग्रह खत्म हो गया तब यह लोग नए ग्रह यानी समाडां ग्रह पर चले गए।"
एक और दिव्य पुरुष
जल्द ही बंकर में एक और आवाज गूंजने लगी। इस आवाज ने राज और मिशा का ध्यान एकदम से बाहर गेट की तरफ खींच दिया। इससे पहले सिर्फ हवा से होने वाली छुं छुं की आवाज थी लेकिन इस आवाज को सुनकर लग रहा था कि बंकर के बाहर कोई दूसरा स्पेसक्राफ्ट लैंड कर रहा था। आवाज को सुनते ही तीनों एलियंस के चेहरे खुशी से दमकते दिखाई पड़ रहे थे। धीरे धीरे इस नई आवाज की तीव्रता कम होने लगी और फिर अंत में बिल्कुल बंद हो गई। शायद बाहर का आया स्पेसक्राफ्ट अब लैंड करके पूरी तरह से जमीन पर आ चुका था। आवाज के बंद होते ही राज और मिशा की जिज्ञासा दुगनी हो गई। फिर धड़ाम की एक आवाज हुई और बंकर का दरवाजा खुल गया। सभी टनल के बिल्कुल सामने थे। इसलिए वहीं से दिखाई दे रहा था कि दरवाजे पर क्या हो रहा है। सभी लोगों को दरवाजे के बाहर कोई काले रंग की परछाई जैसी आकृति दिख रही थी जिसने धीरे-धीरे आगे बढ़ना शुरू किया और उसकी रूपरेखा उभर कर सामने आई।
वह सफेद पोशाक पहनने कोई सज्जन व्यक्ति लग रहे थे। उनके शरीर से भी गुरु जीवा की तरह चमकदार रोशनी निकल रही थी पर वो गुरु जीवा नहीं थे। चेहरा हल्के नीले रंग का था, लंबाई राज की तुलना में तो 2 गुना ज्यादा थी। चेहरे पर सफेद रंग की दाड़ी थी और सर पर सफेद बाल थे। यह सब उन्हें धरती के साधु महात्मा जैसा रूप दे रहे थे। अगर धरती पर होते तो उन्हें तो देवता ही मान लिया जाता है; उनकी आभा ही कुछ ऐसी थी, शरीर पर कोई मशीनी उपकरण नहीं था जिससे इस बात की पुष्टि होती है कि उनके पास इतनी क्षमता है कि वो खराब वातावरण का सामना कर सके। गुरु जीवा के कथन के अनुसार यह शक्तियां उनकी अलग प्रजाति होने के कारण उन्हें प्राप्त होती है। उनके चलने से पूरे टंनल में करिश्माई ध्वनि उत्पन्न हो रही थी जो तीनों धरती वासियों को मंत्रमुग्ध कर रही थी। धम धम की हल्की आवाज ने हवा के डरावने शोर को कहीं पीछे छोड़ दिया। उन्होंने भी टनल का सफर पार किया और बिल्कुल राज और मिशा के सामने आकर खड़े हो गए। दोनों को ऐसे लग रहा था जैसे उनके सामने देवराज इंद्र ने एंट्री मारी हो, जो उम्र में काफी बूढ़े हो चुके थे। यहां उनका बुढ़ापा उनके व्यक्तित्व को दिखा रहा था। वह बोले जिसका ट्रांसलेशन जिकनोर ने हिंदी में किया।
"तो तुम लोगों हो वो इंसान... जिसे जिकनोर वासी लेकर आए हैं...." उनकी आवाज अपने आप में गूंज रही थी। "दिखने में तो तुम लोग बहुत सामान्य लग रहे हो फिर ऐसा क्या कारण था जो जिकनोर वासियों को तुम लोगों से काम आन पडा" वो थोड़ा सा नीचे झुके और बिल्कुल राज के चेहरे के पास आ गए। राज के सामने उसके भी चेहरे से 3 गुना बड़ा चेहरा था। वह राज की आंखों में झांक कर उसे हैरानी से देख रहे थें।
"लेकिन....अगर जनडोर वासी तुम्हें लेकर आए हैं तो जरूर तुम लोगों में कुछ खास होगा " उन्होंने अपने हाथों से अपनी सफेद पोशाक को समेटा और पीछे के तीनों एलियंस की तरफ गए।
"मुझे समाडां जाकर महान शीतनोर से बात करनी होगी। उन्हें अभी इस बात की सूचना नहीं कि हम लोगों ने गुप्त तरीके से इन लोगों का अपहरण किया है। इसके बाद इन्हें उनके समक्ष प्रस्तुत करेंगे, फिर वही फैसला करेंगे इनका क्या करना है..." उन्होंने कहा और जैसे आए थे वैसे ही बाहर की तरफ जाने लगे। दरवाजे के पास जाकर उन्होंने पीछे के तीनों एलियंस को आदेशात्मक स्वर में कहा "जब तक मैं वापस ना आ जाऊं....इनका ध्यान रखना"
राज और मिशा सोच में पड़ गए। एक तो वो उस शख्स की आभा में इतना खो गए थे कि कुछ बोल नहीं पाए और ऊपर से जो उन्होंने कहा उससे उनकी उस प्रतिभाशाली छवि के बारे में जानने की जिज्ञासा और बढ़ गई।
गुरु वुवान
सभी सवालों के जवाब के लिए उनके पास सिर्फ एक चीज मौजूद थी और वह जिकनोर थी। जिकनोर काफी सारे सवालों का जवाब दे देती थी वह भी एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस होने के बाद भी। राज और मिशा दोनों ने एक दूसरे की मदद से उसे बाहर निकाला और फिर सवाल पुछा।
"अभी जो शख्स हमारे पास आए थे वह कौन थे। तुम उनके बारे में क्या जानती हो। दिखने से तो दिव्य पुरुष लग रहे थे लेकिन सचाई तुम ही हमें बताओगी।
"हां, जिकनोर ने जवाब दिया। 'मेरे डाटा में इसकी जानकारी सेव है" फिर उसका होलोग्राम वापस शुरू हुआ और जो शख्स निकल कर गया था उसकी तस्वीर नजर आने लगी। जिकनोर उन्हें हर एगल से दिखा रही थी।
"यह समाडां ग्रह के धर्मगुरु गुरु वुवान है। जिस तरह गुरु जीवा जनडोर ग्रह के महान(राजा) के लिए मार्गदर्शन का काम करते हैं उसी तरह समाडां ग्रह के महान शीतनोर के लिए मार्गदर्शक का काम उनका है। इनके पास उतनी ही शक्तियां हैं जितनी शक्तियां गुरु जीवा के पास है। शायद तुम लोग धर्म गुरु का मतलब जानते हो , धर्म गुरु अपने अपने यहां के राजा को दिशा निर्देश देकर उनके पथ प्रदर्शक का काम करते हैं। सही मायनों में कहां जाए तो यह धर्म गुरु 'महानों' के लिए सलाहकार, उनका चिंतन करने वाले अनुयाई सभी होते हैं। आवश्यकता पड़ने पर यह अपने महान के लिए किसी की जान भी ले सकते हैं और किसी से युद्ध भी कर सकते हैं। अपने देवीएं क्षमताओं के कारण इनके पास इतनी ताकत होती है की यह अकेले ही पूरी ग्रह की सेना से लड़ ले और उन्हें खत्म भी कर दें। यह हर वह काम कर सकते हैं जो देवता कर सकते हैं। "
मिस्टर रावत ने जिज्ञासावश कहा "वैसे यह सवाल पूछना तो नहीं चाहिए पर मेरे दिमाग में कॉमनली आ गया। अगर यह लोग इतने ताकतवर हैं तो इनके यहां के राजा कितने ताकतवर होगे जिनके लिए यह लोग सलाहकार का काम करते हैं"
"जी नहीं, वह लोग सामान्य एलियंस की ही तरह हैं "जिकनोर ने जवाब दिया। "उन लोगों के पास देवीए सकते नहीं, हमारे यहां किसी भी ग्रह का महान चुनने के लिए यह नहीं देखा जाता उनके पास शक्तियां है या नहीं, बस काबिलियत को परखा जाता है। जो सबसे ज्यादा काबिल होगा वह महान बनेगा। शक्तिदारी धर्मगुरु काबिलियत को परखकर महान को चुनते हैं और उन्हें ग्रह का शासन संभालते हैं। धर्म गुरुओं को इसी काम के लिए चुना गया है ताकी वह लोग किसी ग्रह पर ग्रह के लायक महान को चुने"
"चुना गया है??" मिशा ने जिकनोर की इस बात पर खास ध्यान दिया। "मतलब उन से भी ऊपर कोई है जो इन धर्मगुरुओं का चुनाव करते है जो आगे चलकर राजा यानी महान सिलेक्ट करते हैं"
"जी, हां है....हमारी गैलेक्सी का पूरा का पूरा शपं है तुम्हारी भाषा में संविधान, जिसके ऊपर सभी ग्रह चलते हैं। संविधान के नियमों को ना तो थोड़ा जाता है ना ही बदला जाता है। धर्म गुरुओं का काम ही संविधान की रक्षा करना है। अगर कोई महान संविधान के नियमों को तोड़ता है तो इनके पास इतनी क्षमता होती है कि वह किसी और को महान बना दें। यह हमारे गैलेक्सी की शासन व्यवस्था है। शासन व्यवस्था हर जगह होती है। कहीं पर छोटी तो कहीं पर बड़ी... तुम लोगों की पृथ्वी गैलेक्सी की तुलना में काफी छोटी है इसलिए वहां जो सविधान है उसे अलग-अलग देशों के हिसाब से बांटा गया है। हम लोग कई सारी प्रजातियां और सभ्यताओं में रहते हैं इसलिए हमारे यहां के संविधानों को अलग-अलग ग्रहों के हिसाब से बांटा गया है। संविधान और ग्रहों की शासन व्यवस्था में नियम और कायदे हैं। सजा का प्रावधान है। समानता का अधिकार है। और अलग-अलग सभ्यताओं के लिए अलग-अलग सीमाएं है।"
राज ने अपना विचार सामने रखा "मतलब गैलेक्सी पर राज करने वाले इस बात का फैसला करते हैं कि किस धर्म गुरु को कहां भेजा जाएगा, फिर धर्म गुरु इस बात का फैसला करते हैं कि कौन ग्रह का राजा बनेगा।"
"जी सही कहा" जकनोर ने जवाब दिया। "गैलेक्सी पर ही राज करने वाला सब कुछ है। हमारी पूरी गैलेक्सी 8 भागों में बंटी हुई है जिन पर 8 लॉर्ड का अधिकार है।"
"यह वाली बात मेरे कुछ समझ नहीं आई क्या तुम थोड़ा सा और समझाओगी... क्योंकि मुझे लगता है यह हमारी कहानी में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण यही है" इस बार मिशा बीच में बोली
"हां, महत्वपूर्ण तो है। चीजों को समझने के लिए आपको उनकी पृथ्वी से तुलना करनी होगी वह भी खासकर देवी देवताओं के कंसेप्ट से, क्योंकि इन लोगों की क्षमताएं आम इंसानों में नहीं गिनी जाती। हम लोग तो आम हैं पर हमारे ऊपर राज करने वाले लोग बिल्कुल भी आम नहीं। वह एक ऐसी विकसित सभ्यता है जिसके पास हर एक चीज का नियंत्रण है, वो पलक झपकते ही पूरे के पूरे ग्रह और गैलेक्सी को खत्म कर सकते हैं। नामुमकिन का शब्द उन पर लागू नहीं होता। वो लोग परमात्मा से भी ऊपर हैं। मैं सभी चीजों को शुरू से शुरू करती हूं और होलोग्राम और चित्रों के जरिए आपको अच्छे से बताती हूं। इसके बाद हर एक चीज आप लोगों को समझ में आ जाएगी।
गैलेक्सी की शासन व्यवस्था
जिकनोर ने कहने के साथ ही होलोग्राम एक बार फिर से चालू कर दिया। अबकी बार होलोग्राम में ब्रह्मांड की शुरुआत से भी पहले के दृश्य थे। उसमें बिग बेगं का इकलौता चमकता हुआ बिंदु साफ साफ दिखाई दे रहा था। जिकनोर ने बोलना शुरू किया।
"ब्रह्मांड की शुरुआत से पहले सिर्फ इसी चीज का वर्चस्व था, जो एक बिंदु में समाहित थी। इसके अतिरिक्त इस बिंदु से पहले समय का भी अस्तित्व नहीं था। फिर सयोगंवश इस बिंदु में विस्फोट हुआ और ब्रह्मांड का निर्माण शुरू हो गया। इस बिंदु से मुक्त होने वाली ऊर्जा अनंत तक फैलती गई। धीरे धीरे ब्रह्मांड ने आकार लेना शुरू किया और ऐसे ही लाखों करोड़ों साल बीत गए। लाखों करोड़ों साल बाद तत्वों का निर्माण होने लगा। तत्वों ने मिलकर भारी मात्रा में हीलियम और हाइड्रोजन गैस बनाई जो आगे जुड़कर तारों के बनने का कारण बनी। इन तारों के मिलने से आकाशगंगाएं अस्तित्व में आई। तारों के बचे हुए अवशेष ग्रहों में बदल गए और ग्रहों के भी कुछ टुकड़े चांद के नाम से जाने जाने लगे। इस संरचना से गैलेक्सी ने आकार लिया और गुरुत्वाकर्षण के बंधन ने एक ग्लैक्सी को दूसरी गैलेक्सी से अलग कर दिया। एक गैलेक्सी के निर्माण के समांतर दूसरी गैलेक्सी का निर्माण हुआ। अलग-अलग गैलेक्सी में अलग-अलग जगहों पर सूक्ष्म जीवों ने रूप धारण करना शुरू कर दिया। सूक्ष्म जीव हर जगह मौजूद थे। जहां भी उन्हें बुनियादी सुविधाएं मिल रही थी वहां वह पनप रहे थें। चाहे अंधेरा हो या फिर तारे का गर्भ। ग्रहों पर भी अलग-अलग स्थिति में अलग-अलग जीवो ने आकार लिया। सूक्ष्म जीवों ने मिलकर बड़े जीव बनाएं और बड़े जीवो ने मिलकर उससे भी बड़े जीव। फिर बेमल गठजोड़ हुआ और विकसित प्रजातियां पनपने लगी। अलग-अलग गैलेक्सी में अलग-अलग विकसित प्रजातियां उभर कर आई। उन प्रजातियों की ताकत, रूपरेखा और बनावट इस बात पर निर्भर करती थी कि उसका आसपास का वातावरण कैसा हैं। जो प्रजातियां ग्रह पर बनी वह अपेक्षाकृत उन प्रजातियों से कमजोर थी जिनका निर्माण अंतरिक्ष में अंधेरे के अंदर या फिर सूरज के गर्भ के अंदर हुआ था। छोटी प्रजातियों की तुलना में उन बड़ी प्रजातियों को परमात्मा कहा जाने लगा। कहीं ना कहीं यह बात तुम्हारे यहां की गैलेक्सी पर भी लागू होती है। तुम्हारे यहां भी ऐसी शक्तियों का अस्तित्व है जिन्हें तुम लोग देवता, परमात्मा या फिर कुछ और कहते हो। " होलोग्राम के दृश्य जिकनोर के कहने के साथ साथ ही बदल रहे थे।
"हम लोग इन्हीं प्रजातियों को लॉर्ड के नाम से जानते हैं। ऐसी प्रजातियां जो गैलेक्सी के अलग-अलग कोनों पर विकसित हुई। इनकी संख्या हजारों में थी जो आपसी विवाद का कारण बना। इनमें आपस में जंग हुई और इन प्रजातियों में आपस में जंग के बाद वही बचा जो सबसे ताकतवर था। अर्थात इसकी कल्पना तुम बड़ी और शक्तिशाली प्रजातियों के बीच हुई जंग से कर सकते हो जिसमें ताकतवर ने कमजोर को खत्म कर दिया। ब्रह्मांड में सभी ताकतवर प्रजातियों के खत्म होने के बाद सिर्फ 8 लॉर्ड ही ऐसे बचे थें जो खत्म नहीं हो सके। लंबे समय की जंग के बाद इन्होंने आपसी साम्य स्थापित किया और वर्षों से चली आ रही जंग को रोक दिया। इसके बाद स्थापना हुई हमारी गैलेक्सी में 8 लॉर्ड के शासन की। शासन की शुरुआत से पहले ही इस बात का फैसला कर लिया गया कि भविष्य में चलकर किसी भी तरह का द्वंद ना हो। इसलिए इस चीज का निपटारा करने के लिए गैलेक्सी को 8 भागों में बांट दिया गया और हर एक भाग पर एक लॉर्ड ने जिम्मेदारी संभाल ली। उन्होंने अपने हिस्से में पनप रही दूसरे छोटे जीवो और प्रजातियों को एक ही ग्रह पर लाकर छोड़ दिया था ताकि वे सभी जीवों पर अच्छे से ध्यान दे सकें। इस तरह से हमारी गैलेक्सी के आठ भागों में सिर्फ एक एक ग्रह पर ही जीवन की मौजूदगी संभव हो सकी। फिर समय बीता गया और ग्रह पर रहने वाली इन प्रजातियों ने लॉर्ड की देखरेख में विकास की सभी हदें पार कर दी। हम लोगों को हर वो एक चीज मिली जिसे पाना संभव था। हर एक चीज का अविष्कार हुआ जिसका अविष्कार किया जा सकता था। लेकिन कहते हैं ना हर एक चीज का अंत होता है.... और फिर इसी अंत की शुरुआत हुई".
जिकनोर कुछ देर के लिए रुक गई लेकिन उसने फिर से होलोग्राम शुरू कर दिया।
"यह अंत नहीं था बल्कि एक नई शुरुआत थी। लॉर्ड के लंबे समय तक राज करने के बाद उनकी इच्छा भर गई और उन्होंने ग्रह को छोड़कर अन्य जगहों की यात्रा करने का फैसला किया। बाकी के सभी लॉर्ड भी यही करना चाहते थे। इसके लिए जरूरी था कि उनके जाने के बाद ग्रह की शासन व्यवस्था किसी और के हाथ में आए लेकिन उसका चुनाव कैसे किया जाएगा। यह सवाल उस समय सबके सामने आया। तब सभी लॉर्ड ने मिलकर एक नए जाति की उत्पत्ति की जिसे धर्मगुरु कहा गया। धर्मगुरु इन्हीं लॉर्ड का छोटा सा अंश थे और इनकी संख्या सिर्फ 8 ही थी। अलग-अलग लॉर्ड ने अलग-अलग धर्मगुरु का निर्माण किया और उसे इस बात की जिम्मेदारी दी कि वह ग्रह पर काबिलियत रखने वाले शासक का चुनाव करें। इस शासक को महान के नाम से जाना जाएगा जो ग्रह की शासन व्यवस्था को संभालेगा। फिर सभी लॉर्ड को यह भी पता था कि उनके जाने के बाद असंतुलन जरूर पैदा होगा इसलिए उन्होंने उसी समय शपं की स्थापना कर दी। यानी सविधान। उसमें लिखा गया कौन सा ग्रह क्या कर सकता है और किसके पास कितने अधिकार होगा। अधिकारों के उल्लंघन करने पर धर्मगुरु ही फैसला करेंगे क्या करना है। लॉर्ड को यह भी पता था कि एक बार यहां से जाने के बाद पता नहीं वह वापस आएंगे या नहीं क्योंकि उनका सफर लंबा रहेगा और वो ब्रह्मांड में अनंत से भी दूर की यात्रा करेंगे। उनसे संपर्क का कोई साधन भी नहीं रहेगा तो उन्हें बुलाया भी नहीं जा सकता। और एक मुसीबत यह भी थी कि सभी लॉर्ड अलग-अलग दिशाओं में जाएंगेे। इसलिए उन्होंने शपं का पालन इतना अनिवार्य बना दिया कि कोई उसे तोड़ने की कल्पना भी नहीं कर सकता था।"
तीनों धरती वासी कोतहुलता के साथ एक भी चीज मिस नहीं कर रहे थे।
"मैंने तुम्हें अभी जो भी बताया वह हमारे गैलेक्सी की शासन व्यवस्था थी। मैंने तुम लोगों की इस बात की भी जानकारी दी हमारी गैलेक्सी में इस शासन व्यवस्था की नींव कैसे पड़ी। सामान्य और आसान शब्दों में अगर सारांश निकाल कर बताया जाए तो इसका सिर्फ एक ही मतलब बनता है '8 लॉर्ड' '8 धर्मगुरु' '8 गृह' '8 महान' शायद तुम सब चीजों को समझ गए होंगे"
जिकनोर ने बताने के साथ ही होलोग्राम बंद कर दिया।
Miss Lipsa
30-Aug-2021 08:48 AM
Bohot acha likha hua hai..👍✨
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